भारतीय सिनेमा IMPORTANT FACTS-www.KiranBookStore.com
भारतीय सिनेमा IMPORTANT
FACTS
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भारत में पहली बार फिल्म (first film
in india) का प्रदर्शन 7 अगस्त 1896 को मुंबई के वाट्सन होटल
में किया गया था। यह प्रदर्शन ल्युमेरे ब्रदर्स द्वारा किया गया था। फिल्म का नाम
था ‘मैजिक लैंप’ जिसमें 6 फिल्मों का पैकेज शामिल था।
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1897 में बम्बई (वर्तमान मुम्बई)
के हैंगिंग गार्डन में एक कुश्ती का आयोजन हुआ जिसका फिल्मांकन श्री भटवडेकर ने
किया। भारत में किसी घटना की यह पहली फिल्मांकन थी।
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भारत में चलचित्र कैमरा खरीदने वाले प्रथम
व्यक्ति श्री हीरालाल सेन थे, उन्होंने 1898
में चलचित्र कैमरा खरीदा था। उस कैमरे से वे राजा महाराजाओं
के क्रिया-कलापों तथा राज-प्रासादों का फिल्मांकन करते थे और लोगों को दिखाते थे।
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भारत में पहली डाक्यूमेंट्री फिल्म सन् 1901 में बनी। इस डाक्यूमेंट्री फिल्म को सावे दादा ने बनाई थी
तथा इसकी विषयवस्तु थी – कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से गणित की परीक्षा में
सर्वाधिक अंक पाने वाले भारतीय छात्र आर पी परांजपे के भारत वापसी।
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भारत में ग्रामोफोन डिस्क पर पहला गीत सन् 1902 में रेकॉर्ड हुआ जिसे कि कलकत्ता के क्लॉसिकल थिएटर में के
शशि रेकॉर्ड करवाया था।
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सन् 1907 में कलकत्ता में बनी एल्फिन्सस पिक्चर पैलेस भारत का पहला सिनेमा हॉल था जिसे
कि एफ. मदान ने बनवाया था।
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सन् 1912 प्रदर्शित ‘पुंडलिक’ भारत की पहली थिएट्रिकल फिल्म है जिसे किस आर.जी. तोरणे ने बनाई थी।
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दादा साहब फाल्के द्वारा निर्मित फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ भारत की पहली फीचर फिल्म है जो कि 3 मई 1913 को मुंबई के कोरोनेशन थिएटर
में प्रदर्शित हुई थी।
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5 मई 1913 को बाम्बे क्रानिकल अखबार में छपी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ की समीक्षा भारत की पहली फिल्म समीक्षा थी।
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सन् 1914 में फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ का प्रदर्शन लंदन में हुआ और इस प्रकार से यह फिल्म विदेश
में प्रदर्शित होने वाली भारत की पहली फिल्म बन गई।
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सन् 1918 में द्वारिका दास संपत ने कोहिनूर फिल्म कम्पनी आरम्भ किया और साथ ही उन्होंने
मूक फिल्मों में पार्श्व संगीत की भी की शुरुआत की जिसमें पर्दे के पास बैठकर वादक
वाद्ययंत्रों को बजाते थे।
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फिल्मी पोस्टरों का आरम्भ सन् 1920 में हुआ; यह शुरुआत
बाबूराव पेंटर ने अपनी फिल्म वत्सला हरण के लिए किया।
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उन दिनों फिल्मों में स्त्री कलाकारों की
भूमिका भी पुरुष कलाकार ही निभाते थे पर दिसंबर 1913 में दादा साहब फाल्के की दूसरी फिल्म ‘मोहिनी भस्मासुर’ में काम करने के लिए पहली बार दो स्त्री
कलाकारों ने अपनी स्वीकृति दी। ये कलाकार थीं दुर्गाबाई और कमलाबाई, जो कि माँ-बेटी थीं।
सन् 1920 में निर्देशक सुचेत सिंह की फिल्म ‘शकुंतला’ में पहली बार एक विदेशी महिला कलाकार ने काम
किया, वे थीं अमेरिकन अभिनेत्री डोरोथी किंगडम।
आरम्भ में फिल्मों की कथावस्तु धार्मिक एवं
पौराणिक कथाएँ हुआ करती थी पर सन् 1921 में धीरेन गांगुली ने पहली बार समकालीन सामाजिक कहानी पर ‘बिलात फेरत’ नामक फिल्म बनाई।
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सन् 1924 में बनी ‘काला नाग’ नामक फिल्म भारत की पहली थ्रिलर फिल्म थी।
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सन् 1925 में प्रदर्शित फिल्म ‘लाइट आफ एशिया’ भारत और जर्मनी के संयुक्त प्रयास से बनी थी; इसी फिल्म से पहली बार भारतीय फिल्म उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
मिली।
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सन् 1921 में प्रदर्शित फिल्म ‘विदेशी वस्त्रों की होली’ में पहली बार महात्मा गांधी का किसी फिल्म में चित्रण हुआ।
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सन् 1923 में प्रदर्शित फिल्म ‘भक्त विदुर’, जिसे कि कोहिनूर फिल्म कंपनी ने बनाया था, को पहली बार सरकार ने प्रतिबन्धित किया क्योंकि इस फिल्म के कुछ दृश्य
अंग्रेजों को नागवार गुजरे थे।
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भारत की पहली महिला निर्माता, निर्देशक एवं लेखका फातमा बेगम थीं जिन्होंने 1925 में ‘बुलबुल-ए-परिस्तान’ नामक फिल्म बनाई थी।
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प्रदर्शन के पूर्व ही बैन कर दी जाने वाली
पहली फिल्म ‘वंदे मातरम आश्रम’ थी जिसे कि पेंढारकर बंधुओं ने सन् 1926 में बनाया था।
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सन् 1929 में प्रदर्शित ‘कपाल कुंडला’ भारत की पहली फिल्म थी जिसने सिल्वर जुबली मनाई थी।
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भारत की पहली सवाक् (बोलती) फिल्म सन् 1931 में प्रदर्शित ‘आलमआरा’ थी जिसे कि आर्देशिर ईरानी ने निर्देशित किया
था। इस फिल्म में 7 गाने थे। इस फिल्म का प्रदर्शन फिल्म बम्बई
(वर्तमान मुम्बई) के मेजेस्टिक सिनेमा में हुआ था।
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यद्यपि सन् 1933 में प्रदर्शित ‘सैरंध्री’ भारत की पहली रंगीन फिल्म थी किन्तु इस फिल्म का प्रिंट साफ न होने के कारण ‘किसान कन्या’ फिल्म को भारत की पहली रंगीन फिल्म माना जाता है।
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फिल्म ‘किसान कन्या’ की नायिका पद्मा को, भारत की पहली कलर फिल्म नायिका होने की वजह से, ‘कलर क्वीन’ की उपाधि मिली।
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सन् 1933 में निर्मित फिल्म ‘कर्मा’ भारत की पहली द्विभाषी फिल्म थी जिसे कि हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं
में बनाया गया था।
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फिल्म ‘कर्मा’ ही भारत की पहली फिल्म थी जिसमें कि चुम्बन
दृश्य फिल्माया गया था।
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किसी उपन्यास के कथावस्तु पर बनाई गई पहली
फिल्म सन् 1935 में निर्मित ‘देवदास’ थी जो कि
शरतचंद के उपन्यास देवदास पर आधारित थी।
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भारत की पहली स्टंट फिल्म सन् 1934 में प्रदर्शित ‘हंटरवाली’ थी।
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फिल्म ‘हंटरवाली’ की नायिका नादिया को, पहली स्टंट फिल्म की नायिका होने के कारण, ‘स्टंट क्वीन’ का खिताब मिला।
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